यूँ हुआ मेरा अंत
गहरी अँधेरी रात में
बिलख रहे थे सभी
सूनी गलियों में आवाज़ आ रही थी थमी-थमी!
मन किया पुछु माँ, तू क्यूँ इतना तडपे
मैं तो येही तेरे पास खड़ी
पिता भी बैठे है व्याकुल बड़े
क्यूँ आप आज हिम्मत हारे
बहने भी है मेरी ग़ुम सुम
जिनके चेहरे खिले हुआ करते थे कुसुम
भाई के भी सब्र का बांध जो टूटा
लगता है सब लुटा पिटा
लोग आये आँसू बहाए
ए माँ, तुझे और रुलाये
ना सुन ना किसी की बात
मैं तो हू तेरे ही साथ
मान लिया तूने यह कैसे
जननी से हो कैसे जीव जुदा
याद रखना येही सदा
मैं तो येही कही
दिखू नहीं तो समझ लो
छिप गयी कही!
2 comments:
मेरा अंत this is heart touching , i cried after this... every one lives to die some day this is truth of life. the only thing that hurts ... memories of loving one.
thanx for your comment.
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