विश्वास का दीया
अब बुझने ना पाये!
देखे थे जो खवाब
वो धुंधला ना जाये !
सपने में जो आई थी नन्ही कली
वो आखिर क्यूँ नहीं खिली ?
जवाब देना होगा सबको
ज़िम्मेदार बनना होगा आपको !
क्यूँ छुटी कमला की पदाई
वह वापिस घर क्यूँ चली आई ?
कर दो सगाई , कहे उसकी ताई
किसी ने पुछा तक नहीं क्या यह तेरे मन को भाई !
भेज ससुराल क्या सुख की नींद पाएंगे
जब वहां बेटी को सौ दुःख सतायेंगे
अशिक्षा है दुखों का मूल
कैसे गए आप सब भूल !
क्या एक अनपद माँ अपने बच्चे को पढ़ा पायेगी
उसे परिवर्तन से झुझना सिखा पायेगी
पहले बेटी को तोह पढाओ
फिर उसकी दुनिया भी बसाओ !
ख़ुशी किसी की जागीर नहीं
यह सबकी ज़िन्दगी में ही बसी
ढूंढ़ लो तोह मिलेगी येही कही
बोलो बात यह कैसी रही !
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