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Wednesday, January 13, 2010

जीवन बना एक प्रयोगशाला



जीवन बना एक प्रयोगशाला

ना जाने इसमें क्या - क्या डाला

जब से मैंने होश संभाला

फैल रहा आतंरिक उज्जला!



बचपन बीता जवानी आई

छोड़ गयी निशानी कई

मन में उठे सौ सवाल

क्यूँ मचे हर तरफ बवाल?



कोई कहे जूझना तेरा काम है

फिर क्यूँ हर किसी का दाम है

बिकता है रोज़ वही

जिसने लगायी नहीं बोली सही!



जीवन बना प्रयोगशाला

ना जाने इसमें क्या - क्या डाला!

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