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Monday, November 22, 2010

अबकी बार...!



अबकी बार आओ तो
बातों में हसी नहीं
आँखों में चमक लाना तुम
जिसकी रौशनी में
अपने आप को पहचान सकू!

अबकी बार आओ तो
माथे पर बल नहीं
मुश्किलों का हल लाना तुम
जिसके सहारे मैं
अपना आसमान छू सकू!

अबकी बार आओ तो
आँखों की नमी छुपाना ना तुम
कोरे, धुले मन में
शायद कही मैं
अपना नाम ढूंढ़ सकू!

अबकी बार आओ तो
मीठी यादों के साथ-साथ
खट्टी झलकिया भी लाना तुम
इस घुली-मिली चासनी में
मैं खुद को भीगो सकू!

जो अबकी बार आना तुम
सब बदल देना तुम…!

Saturday, November 20, 2010

भविष्य!




धुंधला-धुंधला सा
आड़ा-तिरछा
गूंगा-बहरा
सच्चा-झूठा
सोचता-समझता
मुझमे ही कही बंद है
मेरा भविष्य!

Monday, November 15, 2010

रिश्तो की कसमसाहट!



रूठ जाते है रिश्ते
बिना शिकायत
टूट जाते है रिश्ते
बिना खटखटाए
ग़ुम हो जाते है रिश्ते
बिना बताये
भुलाये जाते है रिश्ते
बिना नज़रे मिलाये
आँखें बंद करते ही
जड़ हो जाते है रिश्ते
कसमसाहट बन
आवाजें खोते जाते है, रिश्ते!

पुराने और नए
मीठे और खट्टे
तीखे और जायकेदार
हमेशा के लिए
सो जाते है
धीरे-धीरे हाथ से फिसल जाते है, रिश्ते!