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Thursday, August 20, 2020

विनाश की महामारी

 विनाश की महामारी

निगलती जाए दुनिया सारी! 


बेदम व्यवस्था

लाचार अवस्था

जज्जर संस्था

तड़पती, घुटती अपनी व्यथा! 


विनाश की महामारी

निगलती जाए दुनिया सारी! 


प्रकृति की उपेक्षा

अधूरी रही शिक्षा

जीवन की भिक्षा

कठिन है परीक्षा! 


विनाश की महामारी

निगलती जाए दुनिया सारी! 


जग जाओ की जीवन शेष हैं

उठ जाओ की बदला परिवेश हैं

भूल जाओ की संशय अब लेश हैं

मुस्कुराओ की आसमाँ में भी छेद हैं! 


विनाश की महामारी

निर्दय अत्याचारी

आ चल करले आज

दो दो हाथ की तैयारी! 


Tuesday, August 18, 2020

दोबारा से . . .

 सोच सोच के ना भी सोचू

ऐसा कोई दिन नहीं 

साथ छोड़ के मौन बैठें 

क्या तुम वही और मैं भी वही?


चमकती लेखनी की नयी धार

मनचले शब्दों का भरपूर प्रहार

भावनाओं की बहती ब्यार

सच…सुहाने ही तो थे वो पल चार !


समय के भॅवर में रोते हसते 

बूँद बूँद पर जीते मरते 

हमने क्यों मुँह फेर लिया 

जाने किसने किससे बैर लिया !


सोच सोच के ना भी सोचू

ऐसा कोई दिन नहीं 

कुछ कहने का कुछ सुनने का 

मौका यहीं है अभी सही !