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Saturday, April 3, 2010

ज़िन्दगी!



1. ज़िन्दगी, एहसास है

यादों का
बातों का
वादों का
घातों का
किताबो का
मुलाकातों का
बूंदों का
घरोंदो का
सुगंधों का
भावनाओ का
चाय के प्यालो का
पूजा की माला का

ज़िन्दगी, एहसास है!

2. ज़िन्दगी

बदलता मौसम है
गर्मी के बाद बरसात
बरसात के बाद सर्दी
सर्दी के बाद पतझर
पतझर के बाद गर्मी!

सिलसिला ख़त्म कहाँ होता है!
इस सबके बीच ही
मुस्कुराहते दौड़ती रहती है!

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3 comments:

Arvind said...

Wow!

Mind blowing.. Superb..

You just made a new fan of your poetry..

:)

Regards
http://www.zindagiilive.com/

Rachana said...

Thanks Arvind for your words of encouragement! keep reading!

Milan Mehta said...

Excellent Poetry

Cheers
Milan

http://milanavi.blogspot.com/

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