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Saturday, April 3, 2010

कवियों का अनोखा संसार



कवियों को नक्कारा मत समझो
इनको तुम बेसहारा न समझो

ये वो है जो पत्थर पर फूल खिला दे
ये वो है जो पल में शिला उड़ा दे
ये तो आसमान में मोती उगा दे
ये तो धरती पर सोना बरसा दे!

शब्दों से इनका गहरा नाता है
हाँ, जीवन व्यापन के लिए थोडा मिल जाता है
पर पक्का इनका इरादा है
और बात है, इनका भ्रम थोडा ज्यादा है!

शब्दों के ये जाल बिछाए
बाद में उसमे ही फस जाए
अपने ही मन की बीन बजाये
बाद में उसकी सजा भी पाए!

जो भी है, कवि तो शान से जीते है
कवि है, काल्पनिक कविता कहते है
ये संवाददाता है वहां के
जो अनजान है इस जहाँ से!

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1 comments:

Aadii said...

ये संवाददाता है वहां के
जो अनजान है इस जहाँ से!

waah!!

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