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Thursday, April 1, 2010

हवा!



हवा
खुशबू में जो घुली
महका गयी सारा चमन!

हवा
बूंदों में मिली
भीगा गयी मेरा मन !

हवा
आंधी ले चली
भेद गयी मेरे नयन!

हवा
धूप में भी खिली
जला गयी मेरा बदन!

हवा
बिजली से भी छली
देहला कर, कर गयी सुन्न!

हवा
फूलो को छू हिली
सजा गयी मेरा रास्ता उपवन!

हवा
पहाड़ो पर चली
बादल बन उड़ सघन!

हवा
चेहरे पर रुकी
आंसू गिरा चली, सजन!

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