1. संजोये सपने
लगते है अपने
आँख खुले
धुंधला जाए सपने!
2. सपनो का संसार कितना भाता है
पल भर में सरहद पार पहुँचा आता है
ना कोई टिकट, ना कोई पूछ-ताछ
पँख लगा दुनिया घुमाता है!
3. मेरे सपनो के रंग खो रहे है
शायद, काजल की कोर के साथ बह निकले
कल तक तो आँखों में तैर रहे थे
आज आस-पास, कही बिखरे पड़े हो!
4. सपनो का गट्ठर कितना भारी है
मेरी सारी ज़िन्दगी इसको उठाने में ही निकल जायेगी!
5. सुना है, सपने पूरे नहीं होते
बुलबुले के जैसे, आकार ले कर फूट जाते है
मैंने, अपने सपनो को हथेली में उठा रखा है
इस बार, न फूटने दूँगी!
2 comments:
कसम से हमें भी सपनो का संसार खूब भाता है जी :)
Abhi: Thanks!
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