1. सूरज से मेरे जीवन को
मौत का गहरा अँधेरा एक पल में निगल गया
मौन खड़ी, मैं देखती रह गयी!
2. जैसे-जैसे मोमबत्ती पिघलती गयी
वैसे-वैसे मन मेरा भरता गया
खालीपन क्यूँ और भी गहराता गया?
3. अँजुरी भरी बारिश ने
सरोबार कर दिया
पता नहीं, भीगने का मन था या आंसूओ में बड़ा दम था!
2 comments:
Beautifully written Rachanaji. Every line has a great depth and impact. I enjoyed reading this poem.
Viji
Viji: Thanks!
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