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Wednesday, June 30, 2010

तीन त्रिवेणी-8




1. बिलखती नदी है
बिछड़े किनारे

तू छोड़ गया हमें किसके सहारे?

2. सब बदल सा गया है
शायद आगे बढ़ गया है

आज फिर, मन वही रुक गया है!

3. कुछ तारीखे क्यूँ मिटती नहीं
दस्तक दे थपथपा जाती है

काश जीवन कैलेंडर में ना बंद होता!

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