1. उसकी देह रूपी ईमारत
एक झटके में ही ढह गई!
यादों के कंकर अब भी मेरे पाँव में देर तक चुभते है!
2. मन करता है
आज छुप जाऊ उस अँधेरी कोठारी में
जहाँ पर मन को झिंझोर कर वापिस लाना आसन होता है!
3. नदिया सूख गयी
नहरे उजड़ गयी!
हाँ, मैंने भी अब बाँध बनाना सीख लिया है!
2 comments:
padh kar achcha laga .....achchi rachana hai aapki
Ana: Bahut shukriya aapka!
Post a Comment