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Monday, June 14, 2010

बहनें!




बागीचे में लगी क्यारियों
में खिले मासूम फूलों
जैसी है बहनें!

पा कर अस्तित्व मिटटी का
बाबुल के घर में
बंदनवार बन सजी है, बहनें!

ये, पिता की थकी आँखों
का सुकून है!
ये माँ की फीकी मुस्कान
का नूर है!
ये भाई की भुजाओ का
उबलता खून है!

बादलो में चमकते
इन्द्रधनुष के रंगों
जैसी फबती है, बहनें!

मंदिर की घंटी की तान, बहनें
परिवार का विस्तार है, बहनें!

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3 comments:

Unknown said...

Very nice.. Yeh padiye.. Meri Aankhein: http://tamannas-thoughts.blogspot.com/

Rachana said...

Smart: thank you..aapki kaviyaein prabhavshali hai!

Anonymous said...

very simple but very effective.

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