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Friday, June 18, 2010

रंग!




1. भावो के अनोखे रंग
कर दे मुझे दंग
जाए सब संग-संग
दृश्य बड़ा विहंग!

2. रंगों की शीशीया मैंने
पानी में उलट डाली
कुछ यूँ मिल गए सब
पहचानो, कौन से तुम्हारे रंग है?

3. रंग ही जीवन है
या जीवन के रंग है
हर पल, कुछ नया आकार उभर कर आता है!

4. लो, पकड़ लो!
रंगों के धागे
बाँध लो मुझसे इनको
देखा!
हम दोनों लाल-पीले हो गए!

5. रंग किसके है?
मेरे या तुम्हारे?
एक उजली या काली लकीर खीच दो
सारा फर्क मिट जायेगा!

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2 comments:

Anamikaghatak said...

apki is rangin kavita ko meri hardik shubhakamnaayen.......achchhi prastuti

Rachana said...

Ana: Shukriya!

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