बागीचे में लगी क्यारियों
में खिले मासूम फूलों
जैसी है बहनें!
पा कर अस्तित्व मिटटी का
बाबुल के घर में
बंदनवार बन सजी है, बहनें!
ये, पिता की थकी आँखों
का सुकून है!
ये माँ की फीकी मुस्कान
का नूर है!
ये भाई की भुजाओ का
उबलता खून है!
बादलो में चमकते
इन्द्रधनुष के रंगों
जैसी फबती है, बहनें!
मंदिर की घंटी की तान, बहनें
परिवार का विस्तार है, बहनें!
3 comments:
Very nice.. Yeh padiye.. Meri Aankhein: http://tamannas-thoughts.blogspot.com/
Smart: thank you..aapki kaviyaein prabhavshali hai!
very simple but very effective.
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