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Friday, August 6, 2010

हर सुबह!




चुनती हूँ हर सुबह
अनाज में से कंकर
वही जो मुंह का
स्वाद बिगाड़ देते है!

बीनती हूँ हर सुबह
जीवन राह में उभरे पत्थर
वही जो उखाड़ फेकने के बाद भी
देर तक चुभते है!

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