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Tuesday, March 30, 2010

मन किया!



मन किया,
सूरज की आँखों में झाँकू
उसमे छिपी उसमा की तड़प
में बर्फ की तरह पिघल जाऊ!

मन किया,
चाँद की चांदनी में खो जाऊ
ढूंढ़ न पाए कोई
इतनी दूर मैं निकल जाऊ

मन किया,
तारे को संग घूम आऊ
टिमटिमाती रौशनी में
एक नन्हे बच्चे के घर उजाला कर आऊ

मन किया,
धरती में समां जाऊ
उसकी कोख की गहराई में
मैं छुप चैन से सो जाऊ

मन किया,
सागर रूपी मैदान में खेल आऊ
अनगिनत जीवो के बीच
मैं एक कीमती मोती चुन लाऊ

मन किया,
बादल संग उड़ जाऊ
सरहदों और लकीरों से परे
मैं सारा जहां नाप आऊ

मन किया,
बारिश संग भीग जाऊ
बूंदों के संगीत से अपनी ताल मिलाऊ
मैं हाथ बढा फिर से खिल जाऊ!


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1 comments:

Chandan Kumar said...

Dil to baccha hai Ji.

Kabhi Jami Kabhi Aasman Samjh Main Nahi Aata,
Is Dil Ka Thikana Bhi Samjh Main Nahi Aata.

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