देखो, पूरब की ओर
हो रही है मधुर भोर
सूरज दादा आते है
अँधेरा दूर भगाते है!
उजाला किरणों का फैला कर
हम सबको जगाते है!
नया दिन और एक नई शुरुआत
याद रखना तुम इतनी सी बात
रोज़ हमें यही सिखलाते है!
I am a free thinker who loves to let the mind fly like a bird and explore vibes within and around. During such flights, I like finding answers to the questions hidden in the valleys and corners of my universe. All throughout, the thoughts flow from the mind to the hands and then down to the paper and they start dancing.
2 comments:
सुंदर बाल गीत।
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
started working on the project so soon :D
good one Rachana
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