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Wednesday, September 1, 2010

सूरज दादा!





देखो, पूरब की ओर
हो रही है मधुर भोर
सूरज दादा आते है
अँधेरा दूर भगाते है!
उजाला किरणों का फैला कर
हम सबको जगाते है!
नया दिन और एक नई शुरुआत
याद रखना तुम इतनी सी बात
रोज़ हमें यही सिखलाते है!


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