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Saturday, September 4, 2010

छुट्टिया!




छुट्टिया आई!
खुशियाँ लाई!
घुमने की हो गई तैय्यारी!

पापा आये
टिकट भी लाये
मन मेरा
उड़े बिना पंख लगाये!

सुबह तडके जगना है
रेल-गाडी में जाना है
खूब मज़े अब करना है
पढाई से अब ना डरना है!

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1 comments:

मनोज कुमार said...

सुबह तडके जगना है
रेल-गाडी में जाना है
खूब मज़े अब करना है
पढाई से अब ना डरना है!
बहुत सरस और रोचक बाल गीत।

फ़ुरसत में .. कुल्हड़ की चाय, “मनोज” पर, ... आमंत्रित हैं!

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