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Wednesday, September 15, 2010

कहानी!




सुनाओ ना माँ!
एक और कहानी
वही वाली
जिसमे था एक राजा और एक रानी
मधुर, सुकोमल कहानी!

रानी थी जिसमे बड़ी सायानी
राजा था थोडा अभिमानी
कहो ना, माँ
कैसे बढ़ी कहानी
राजा और रानी की कहानी!

थी उसमे ना परियो जैसी राजकुमारी
उछलती, कूदती, गुडिया रानी
दोस्तों से घिरी रहती
लगती है मुझे
मनभावन बड़ी कहानी!

और आया था ना एक दिन
वेश बदल मायावी जादूगर
चुरा ले गया कोमल राजकुमारी
सुना कर गया महल और नगरी
दुखभरी है यह कहानी!

दुखी राजा ने सभा बुलाई
सारे नगर में घोषणा करवाई
जो ढूंढ़ लायेगा, राजकुमारी का पता
पायेगा वो ईनाम बड़ा
उम्मीद भरी है कहानी!

लकडहारे का बेटा
सोच में पड़ा
हिम्मत जुटा राजा के पास गया
मैं ढूंढ़ के लाऊंगा
राजकुमारी को छुड़ा लाऊंगा!
वाह, मजेदार है कहानी!

बहादुर, नौजवान ने युक्ति लगाई
राजकुमारी को बचाने की शक्ति उसमे आई
पता लगाया, एक रक्षक उठा ले गया
सारे नगर की खुशिया उड़ा ले गया
बोलो ना, आगे क्या कहती है कहानी?

तैयार हो, घोड़े पर सवार
पंहुचा राक्षस की गुफा के द्वार
चुपके से जा, देखा राजकुमारी थी बेहाल
राक्षस फसा था मद के जाल
हिम्मत वाली है कहानी!

हौसला जुटा राक्षस को ललकारा
तब जा के राक्षस सामने आया
दोनों में हुई लड़ाई भारी
लड़ाई जीत, छुड़ाया नगर दुलारी!
वाह, बलवानी लकडहारे की कहानी!

राजकुमारी को ले लौटा नगर
मुह पर थी उसके चमक
हर्षित, राजा ने उसे गले लगाया
सारा अभिमान चुटकी में भुलाया
यही ख़तम हुई, कहानी!

राजा, रानी की कहानी
दुबारा सुनना ना मम्मी!


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1 comments:

मनोज कुमार said...

रचना मन को लुभा गई! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
काव्य प्रयोजन (भाग-८) कला जीवन के लिए, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

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