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Thursday, September 30, 2010

A Massage for Peace!

Secularism is my religion. I laugh with my people, observe their faiths and beliefs to inculcate good things in me to become a better person every day. I cry with their pain that touch me inside deep till my subconscious. Like everyone, I have questions to ask. Division, why? It is uninvited and unnecessary. We are different communities that further contribute to make a large family called ‘society.’

Like every family, we respect elders who guide us, children who follow us, women who bore and nurture us, friends who share our hearts and teachers who help us to understand the difference between good and bad.

Why discrimination? Why wars? Why you and me? We have greater issues to address than proving our rights on everything. The struggle of fulfilling everyday’s needs and making a niche comfortable life is the crust of everyone’s life. Is there any space to fight over a futile matter that is still persisting after the 60 years of independence?

Join hands and let’s not get involved too much in this prolonged issue that tomorrow becomes the primary reason for killing your human values. Be human!

Saturday, September 25, 2010

Nightmare!



Amidst the darkness of the night, I was running breathlessly, trying to find a shed and overcome my tattered life.

I was battling hard to overcome the juggle between ‘truth’ and ‘falsehood.’ The faster I ran, the nearer it came.

Fear caught and trapped me and I woke up from one of the worst nightmares.



Monday, September 20, 2010

A Hopeful Smile!




I was all negative after getting the news of my team’s shifting to the new building, the very next day. I loved this place, why us?

Sadness climbed on my face. Then, a man came forward and said, “I’ll be your neighbor in the new setup. Can we be friends’?

It was a hopeful smile.

Thursday, September 16, 2010

The Sound of Soul!



Yes, it was a loud bang. She rushed out to close the door, windows, and curtains. Frightened, she sapped all the links with the outside world. But the sound keeps increasing with the time. The intensity was making her mad.

It was the sound from her soul, the most important reason for her existence.

Wednesday, September 15, 2010

कहानी!




सुनाओ ना माँ!
एक और कहानी
वही वाली
जिसमे था एक राजा और एक रानी
मधुर, सुकोमल कहानी!

रानी थी जिसमे बड़ी सायानी
राजा था थोडा अभिमानी
कहो ना, माँ
कैसे बढ़ी कहानी
राजा और रानी की कहानी!

थी उसमे ना परियो जैसी राजकुमारी
उछलती, कूदती, गुडिया रानी
दोस्तों से घिरी रहती
लगती है मुझे
मनभावन बड़ी कहानी!

और आया था ना एक दिन
वेश बदल मायावी जादूगर
चुरा ले गया कोमल राजकुमारी
सुना कर गया महल और नगरी
दुखभरी है यह कहानी!

दुखी राजा ने सभा बुलाई
सारे नगर में घोषणा करवाई
जो ढूंढ़ लायेगा, राजकुमारी का पता
पायेगा वो ईनाम बड़ा
उम्मीद भरी है कहानी!

लकडहारे का बेटा
सोच में पड़ा
हिम्मत जुटा राजा के पास गया
मैं ढूंढ़ के लाऊंगा
राजकुमारी को छुड़ा लाऊंगा!
वाह, मजेदार है कहानी!

बहादुर, नौजवान ने युक्ति लगाई
राजकुमारी को बचाने की शक्ति उसमे आई
पता लगाया, एक रक्षक उठा ले गया
सारे नगर की खुशिया उड़ा ले गया
बोलो ना, आगे क्या कहती है कहानी?

तैयार हो, घोड़े पर सवार
पंहुचा राक्षस की गुफा के द्वार
चुपके से जा, देखा राजकुमारी थी बेहाल
राक्षस फसा था मद के जाल
हिम्मत वाली है कहानी!

हौसला जुटा राक्षस को ललकारा
तब जा के राक्षस सामने आया
दोनों में हुई लड़ाई भारी
लड़ाई जीत, छुड़ाया नगर दुलारी!
वाह, बलवानी लकडहारे की कहानी!

राजकुमारी को ले लौटा नगर
मुह पर थी उसके चमक
हर्षित, राजा ने उसे गले लगाया
सारा अभिमान चुटकी में भुलाया
यही ख़तम हुई, कहानी!

राजा, रानी की कहानी
दुबारा सुनना ना मम्मी!


Tuesday, September 14, 2010

मेला देखने जाऊंगा!




माँ, मैं भी मेला देखने जाऊंगा
तमाशे, रंग बिरंगे गुब्बारे
इनसे अपना मन बहलाऊंगा!
हाँ माँ, आज तो मैं मेला देखने जाऊंगा!

देखो, सब जा रहे है
राजू, मोहन, रीना, मीना
कितना मुझे जला रहे है
नए-नए कपडे पहने
सब बड़ा इतरा रहे है
जाने दो ना, मैं भी मेला देखने जाऊंगा!

डरना मत, झूले में मैं नहीं घबराता
चाट, पकौड़े खाने में तो और भी मज़ा आता
बँदूक पर निशाना लगा, ईनाम मैं ही पता
हर प्रतियोगता में नंबर 1 मैं आता
अब तो बात मान लो, मेला देखने जाऊंगा!

Monday, September 13, 2010

बरखा!




छलनी-छलनी हो गया आकाश मेरा
सपनो की धारा भी बह चली
बंद आँखें भी उफनती जा रही है
लगता है
मेरे मन के सूने आँगन में
आज झम-झम बरखा नाच रही है!

Friday, September 10, 2010

ज़िन्दगी!




1. भूख का टुकड़ा ले के
रगडती चली जा रही है
हाय, ज़िन्दगी बढ़ी चली जा रही है!

2. एक पुल लटका हुआ है
इधर झूठ क्षणभंगूर काया पर चमक रहा है
उधर सच दमकती मुस्कान लिए मेरे होठों पर सजा है!

3. ज़िन्दगी और क्या है?
मेरे आस पास में सजे रंग ही तो है!
बारी-बारी सभी रंग एक दूसरे पर हावी होते है
पर निष्कर्ष कोरा ही रहता है!

4. शब्दों का फेर है
हर काम में थोड़ी देर है
ज़िन्दगी फिर भी
अंधेर नहीं, सिर्फ सवेर है!

5. तुमसे ज़िन्दगी है
तुम ज़िन्दगी से नहीं
क्यूँ ना, तुम रोज़ नया बहाना ढुंढ़ो
मुस्कुराने का!

Sunday, September 5, 2010

रंग बिरंगी चूडिया!




हाथों में सजी है
रंग बिरंगी चूडिया
जोह रही है बाट
बीते पल और घडिया!

बचपन का खेल
गुड्डे और गुडियो का मेल
हसी के फव्वारे
चूडियो की खंकार बुलाये, रे!

जवानी का जोर
मन उड़े बिना डोर
खीचे प्रीत की फास
अब चूडिया ही बची आस!

दुल्हन बन
तुम संग चली
बाबुल की हवा
पिया के अंगना बही
खन-खन चूडिया
फिर बजने लगी!

जब पिया भये परदेस
और आवे ना कोई सन्देश
चूडिया की गूँज
लावे है नयनो में बूँद!

रंग बिरंगी चूडिया
मिटाए दिलो की है दूरियाँ!

Saturday, September 4, 2010

छुट्टिया!




छुट्टिया आई!
खुशियाँ लाई!
घुमने की हो गई तैय्यारी!

पापा आये
टिकट भी लाये
मन मेरा
उड़े बिना पंख लगाये!

सुबह तडके जगना है
रेल-गाडी में जाना है
खूब मज़े अब करना है
पढाई से अब ना डरना है!

खिलौने वाला हाथी!




प्यारा मुझे खिलौने वाला हाथी!
यह तो मेरा सच्चा साथी
फीके लगे खिलौने बाकी
जब नज़र मेरी हाथी पर जाती

चाभी लगाओ
हाथी को नचाओ
करतब देखो
ताली तुम बजाओ!


Friday, September 3, 2010

नटखट चूहा!




सरपट भागे नटखट चूहा
मुह में लेकर माल-पुआ
पलक झपकते यह गुम हुआ!

दौड़ी मम्मी, डंडा लाई
आज तो तेरी खैर नहीं भाई
बड़ा सताए, गुस्सा दिलाये
अब तो तेरी शामत आई!

मारा डंडा लगा के जोर
टूटा फूलदान, हुआ भारी शोर
बेचारी मम्मी तकती रही
चूहा मुड़ गया बिल की ओर!

Thursday, September 2, 2010

A Poem for My Best Friend, Amrita!




For Amy!

My Friend Amrita, Moti!

Met by chance
Stayed by choice
Grew each day
Together, every way!

Shared laughter
Endless moments soon after
Cried in pain
Lived life plain
You were the Jane!

Shopping with you was fun
Watching movies with you a sin
Your attention diverted
Your mouth always shouted
Indeed, spending time with you was always fun!

Simplicity I liked in you
Wit in you, I admire the most
My birthday gift is due
That I am not going to forget, at any cost!

Engaged, you’re on the verge of a new life
Yes, you’re going to be someone’s wife
Just want to tell you,
I am happy for you the most
Watching you settling down happily
Has been like, fulfilling a personal goal sunnily!

Here I am wishing you the best
For new responsibilities and opportunities
That you’re going to get very soon
Trust me, your life would be
As colorful and beautiful as
The playground of moon!

As the new role is calling you
Do you remember, what I told you?
I will be there for you
In everything and every way
Beyond the lines or boundaries
Time zones and weather conditions,

You know why?
Feelings have wings
That take you wherever you want to be
My heart is with my dear friend
Which are you, stupid!

So, don’t think that I can’t bug you anymore
I will come again and again
Irritating and nagging you
As I have done so far!

Enjoy and welcome this new happening
Including me!

Love,
Rachana...Chhoti!



Wednesday, September 1, 2010

चंदा मामा!




गोल-गोल से
उजले-उजले
है मेरे चंदा मामा!

मटक-मटक कर
बन सवर कर
इतराते है चंदा मामा!

दिन ढलते ही
तारो के संग
आ धमकते चंदा मामा!

सूरज के आते ही
मुह छुपाते
छुप जाते है चंदा मामा!


सूरज दादा!





देखो, पूरब की ओर
हो रही है मधुर भोर
सूरज दादा आते है
अँधेरा दूर भगाते है!
उजाला किरणों का फैला कर
हम सबको जगाते है!
नया दिन और एक नई शुरुआत
याद रखना तुम इतनी सी बात
रोज़ हमें यही सिखलाते है!