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Wednesday, July 21, 2010

यादें!




1. तुम्हे सोचना याद है?
या तुम्हे ना सोच के घुटना?
याद आखिर क्या बला है?

2. धुंधलाती तस्वीरे
मुस्कुराते चेहरे
खो कर भी जीवंत है
मेरी यादों में!

3. बैठे-बैठे
रुला गया बस एक नाम तुम्हारा
यादों की डोर
टूट के भी नहीं टूटती ना?

4. यादें ही सौतन और सखी
तड़पते मन को डसती जाती है
दूजे ही पल, मीठी बातों का आभास करा अपना बना लेती है!

5. तुमसे मेरी यादें है
या तुम मेरी यादों का हिस्सा हो
इस चक्रव्यूह में ही तो
मेरी ज़िन्दगी अटकी पड़ी है!

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1 comments:

Chandan Kumar said...

Wah Wah!!!!!!

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