वक़्त पानी की तरह
बहता जाता है
वक़्त पत्थर के समान
जड़ भी बन जाता है
वक़्त सागर के समान
गहराता जाता है
वक़्त बिजली की तरह
दौड़ भी लगाता है
वक़्त खुशबू बन
उड़ता चला जाता है
वक़्त सांझ तले
ढल भी जाता है
वक़्त सूरज के संग
मुड़ कर आ जाता है
वक़्त कोशिश बन
फिर मुस्कुराता है
वक़्त आँखों में छिपा
डर दिखाता है
वक़्त रंगों भरा
सपना सजाता है
वक़्त पर्दा हटा
कभी भरमाता है
वक़्त आस बन
जीना सिखाता है
वक़्त थम जाए जब
न जिया जाता है, ना मरना आता है!
वक़्त संभालता है
वक़्त बिगाड़ता है
वक़्त बताता है
वक़्त दिखाता है
वक़्त से आगे क्या है?
1 comments:
सब वक्त के हाथों मजबूर होते हैं ..
अच्छी प्रस्तुति
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