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Monday, October 18, 2010

मेरी सीमा




मेरे कंगन मेरी सीमा दिखाते है
उनकी गोलाई के घेरे में ही
मेरे साँसों की लडिया बंधी है
जो मैंने इसको पार करने की सोची
निशब्दता मुझे डस लेगी
खालीपन मुझ पर हावी होगा
फिर वो तय करेंगे,
मेरी नई सीमा क्या है?

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2 comments:

Anamikaghatak said...

gahre bhav liye aapkii kavita bahut achchhi hai

Aryan said...

Good Thought

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