"A bi-lingual platform to express free ideas, thoughts and opinions generated from an alert and thoughtful mind."

Thursday, July 7, 2011

इंतज़ार

 












सुबह तुम जाते हो 
शाम को लौट आते हो
बीच में रहता है  इंतज़ार

अदभुत् अनोखा  इंतज़ार
इंतज़ार  आस  का
तुम्हारे आभास का
हमारे साथ का
अपने विश्वास का

अच्छा लगता है  इंतज़ार
हमेशा करुँगी
ऐसे ही इंतज़ार !


Related Posts :



3 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यह इंतज़ार भी सुखद है ..

सदा said...

बेहतरीन ।

Unknown said...

अति सुन्दर अभिव्यक्ति ..शुभ कामनाएं

Post a Comment