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Saturday, July 2, 2011

सपने

















सपने
बंद आँखों
में ही सजते है
एक अनजानी दुनिया में
स्वतंत्रता का एहसास दिलाते है

आँखें खुलते ही
सच्चाईया  समझा देती है
अपने उड़ने की सीमा
अपनी धुंधली स्वंतंत्रता!

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3 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सपने और हकीकत को कहती अच्छी प्रस्तुति

Vivek Jain said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

मनोज कुमार said...

सपने
बंद आँखों
में ही सजते है
एक अनजानी दुनिया में
स्वतंत्रता का एहसास दिलाते है
बेहतरीन!

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