कुछ रिश्ते
पैदा होने से पहले
निर्धारित कर दिए जाते है
आँखें खोलते ही
हम उन ही रिश्तो का
हुकुम बजाने लगते है
वही रिश्ते
समय के साथ-साथ
हमें सताने लगते है
बोझिल बने, कंधे झुकाने लगते है
फिर भी, तोड़े नही जाते
बस घिसटते जाते है
घाव गहराते जाते है
उसी मन में
जो कभी हरा भरा था!
5 comments:
रिश्ते मरते नहीं मार दिए जाते है या मरने को छोड़ दिए जाते है रिश्ते तो रिश्ते है निबाहने ही होते है , अच्छी रचना बधाई
अच्छी रचना।
उसी मन में
जो कभी हरा भरा था!
विचारणीय प्रस्तुति .. हर रिश्ता एक समझौता चाहता है तभी निभ पाता है
Beautiful! Your poems always have strong emotions. loved this one too.
Beautiful..
"Ghairo Se Poochti Hai Tareeqa Nijaat Ka
Apno Ki Saazisho Se Paraishaan..! Zindagi.."
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