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Wednesday, February 9, 2011

मन अकेला!




मन अकेला
मुरझा गया

अधखिला यौवन
समय से पहले ही सिमट गया

टीस सहता रहा
मोमबती की बाती समान जलता गया

परछाई बन बहुत दूर तक चला
शायद खुद में ही खोता गया

अकेला मन
हर रोज़ मरता गया!

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