जो चुभता है तुम्हे वो
मेरी बातों के बाण नहीं
बल्कि ना पूछे गए सवालो की टीस है
जो रुलाती है तुम्हे वो
मेरे आंसूओ की धार नहीं
बल्कि आने वाले कल की धुंधली परछाई है
जो सताती है तुम्हे वो
मेरे अनगिनत उलझे सवाल नहीं
बल्कि दम तोडती भावनाए है
जो भरमाता है तुम्हे वो
मेरा पागलपन नहीं
बल्कि तुम्हारी अपनी कमजोरी है
सिलवटे लेती ज़िन्दगी
कसमसाने लगी है
कहते थे जिसे अपना
आज वो आसमान
छूटने को है
3 comments:
सिलवटे लेती ज़िन्दगी
कसमसाने लगी है
कहते थे जिसे अपना
आज वो आसमान
छूटने को है
....वाह! बहुत संवेदनशील ओर भावपूर्ण प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
Very touchy and soulful poem...
बहुत ही बढिया
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