Monday, October 24, 2011
बड़ी बात है
सब बदल रहा है
अब नहीं लगता
मरना बड़ी बात है
बड़ी बात तो
जीवत रह कर
मौत तुल्य भयावह परिस्तिथियों में
मौन खड़े रहना है
ख़ुशी की आकांक्षा में मृत जीवन को
घसीटना क्या कम बात है?
Thursday, October 20, 2011
पल आते जाते
सोचा था अपनी मर्ज़ी से जीयेंगे
जो मन आया करेंगे
हवा के पारो पर चढ़ उड़ेंगे
तितली संग फिरते रहेंगे
बारिश की बूदें जैसे
निर्मल कहते रहेंगे
सूरज की नर्म धूप में
बस लेटे रहेंगे!
ना कोई बंधन होगा
ना कोई आवाज़ देगा
उन्मुक्त गगन में
बस उड़ते चलेंगे
सोचा कहाँ होता है
सारा जहाँ अपना कहाँ होता है
थोड़ी सी धूप अपनी
थोडा सा बादल अपना
जो पल मिला अपना लिया
जो छूट गया वो भरमा गया
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Hindi Poems,
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My Life
Tuesday, October 18, 2011
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