
तुम्हारा प्यार
मेरे अन्दर
गहरा रच बस गया है
कभी आँखों से
कभी बातों से
कभी जज्बातों से
उमड़ उमड़ कर
दिख जाता है!
हाँ, बड़ा सताता है
छुपाये ना छुप पाता है
कहू तो कहा ना जाता है
ना कहू तो कहा जाता है
उधमी बड़ा
समझता नही
नटखट बड़ा
सोचता नहीं
लगता है, तुम्हारी तरह जिद्दी हो गया है!
