Tuesday, May 31, 2011
तुम्हारा प्यार
तुम्हारा प्यार
मेरे अन्दर
गहरा रच बस गया है
कभी आँखों से
कभी बातों से
कभी जज्बातों से
उमड़ उमड़ कर
दिख जाता है!
हाँ, बड़ा सताता है
छुपाये ना छुप पाता है
कहू तो कहा ना जाता है
ना कहू तो कहा जाता है
उधमी बड़ा
समझता नही
नटखट बड़ा
सोचता नहीं
लगता है, तुम्हारी तरह जिद्दी हो गया है!
आँगन की मिट्टी
तुम वही हो ना…
जो बचपन से लेकर अब तक
मेरे आस पास
महका करती हो!
याद है मुझे
आँगन में खेलते हुए
कई बार तुम्हे मुहँ में भरा है
लोट लोट कर तुम्हारी खुशबू
खुद में समेट ली है मैंने
हवा क एक झौके से
तुम पल भर में उड़ जाती थी!
आज भी तुम साथ हो
क्यूँकि, तुम बहुत खास हो
पैरो में नहीं
माथे का चन्दन हो
तुम वही हो ना!
Wednesday, May 25, 2011
बहुत दूर छोड़ आई हूँ !
बहुत दूर छोड़ आई हूँ
अनमने मन की विवशता
शब्दो की सरलता
पुकारती मुझे
स्याही की पवित्रता
प्रवाह भरी
भावना की सबलता
उंगलियों में बसी
उलझाती मुझे
लौटा लाती है
वही से
जहाँ छोड़ आई हूँ मैं
अपने जीवन की नीरसता
संग ले आई
एक मीठी सी कविता!
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