अच्छे दिन
मुस्कुराते दिन
खुशियों भरे दिन
फिर लौटेंगे!
उस भूले बिसरे दोस्त की सूरत में
उस भूले बिसरे दोस्त की सूरत में
जो ऐसे ही कही दुबारा टकरा जाए
और जिसे गले लगाते ही
आँखें एक बूँद छलक जाए
वही दिन…फिर लौटेंगे!
उस धूल लगी इच्छा की आहट में
उस धूल लगी इच्छा की आहट में
जो सहसा मन से कोने से निकल
सामने इठलाती दिखाई दे
और मन मदमस्त चहक जाए
सुनो, ऐसे दिन…फिर लौटेंगे!
नए मौसम के सुहाने रंगों में
नए मौसम के सुहाने रंगों में
नए आशाओं से भरे नूतन जीवन में
खुशबू बिखेरते सुनहरे फूल फिर खिलेंगे
इंतज़ार है जिसका, वैसे दिन…फिर लौटेंगे!
4 comments:
What a hopeful,positive aspects of life showing poem.Word are beautifully beaded in poem's garland.I am also waiting वैसे दिन…फिर लौटेंगे!
हम भी इंतज़ार में उस दिन के :))
क्यूँ नहीं.......पक्का लौटेंगे..
बहुत सुन्दर..................
अनु
har din phir loutta hai...aaj bhi kal bhi...sunder bat ..badhai
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