विनाश की महामारी
निगलती जाए दुनिया सारी!
बेदम व्यवस्था
लाचार अवस्था
जज्जर संस्था
तड़पती, घुटती अपनी व्यथा!
विनाश की महामारी
निगलती जाए दुनिया सारी!
प्रकृति की उपेक्षा
अधूरी रही शिक्षा
जीवन की भिक्षा
कठिन है परीक्षा!
विनाश की महामारी
निगलती जाए दुनिया सारी!
जग जाओ की जीवन शेष हैं
उठ जाओ की बदला परिवेश हैं
भूल जाओ की संशय अब लेश हैं
मुस्कुराओ की आसमाँ में भी छेद हैं!
विनाश की महामारी
निर्दय अत्याचारी
आ चल करले आज
दो दो हाथ की तैयारी!