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Thursday, January 26, 2012

बहुत दिनों बाद


बहुत दिनों से
ढूंढ़ रही थी जिसे
जो खो गया था
यही ही कही

जिसके जाने से
बेचैन रहता था मन
नींद हो गई थी
अनजान,ओझल और ग़ुम

शब्दों को पिरोया नहीं
भावो को संजोया ना सही
कल्पना के समुंदर में
गोता लगाया ही नहीं

बहुत दिनों के बाद
मौका मिला फिर एक बार
लफ़्ज़ों के मायने फिर खोज आये
कुछ कहते और कुछ सुनते जाए

Tuesday, January 17, 2012

आसमान छूटने को है


जो चुभता है तुम्हे वो
मेरी बातों के बाण नहीं
बल्कि ना पूछे गए सवालो की टीस है

जो रुलाती है तुम्हे वो
मेरे आंसूओ की धार नहीं
बल्कि आने वाले कल की धुंधली परछाई है

जो सताती है तुम्हे वो
मेरे अनगिनत उलझे सवाल नहीं
बल्कि दम तोडती भावनाए है

जो भरमाता है तुम्हे वो
मेरा पागलपन नहीं
बल्कि तुम्हारी अपनी कमजोरी है

सिलवटे लेती ज़िन्दगी
कसमसाने लगी है
कहते थे जिसे अपना
आज वो आसमान
छूटने को है